Saturday 16 September 2017

बिना अपनी पहचान बताए, अपनी ही सिम से नंबर बदल-बदल कर करें बात

दोस्तों के साथ मजाक करना तो सभी को पसंद होता है। दूसरे नंबर से कॉल और मैसेज कर दोस्तों को परेशान करने में बड़ा मजा आता है। अगर आपको भी अपने दोस्तों को परेशान करने में मजा आता है, तो हम आपके लिए एक तरीका लाएं हैं।

इसके जरिए आप किसी को बिना अपना नंबर बताए अलग-अलग नंबर से कॉल कर सकते हैं। बिना सिम बदले अलग-अलग नंबर से कॉल करना एक एप द्वारा संभव हो पाया है। इस एप का नाम Textme Up App के जरिए। तो चलिए ये ट्रिक आपको बता देते हैं।

1. इसके लिए सबसे पहले आपको अपने स्मार्टफोन पर Textme Up App को डाउनलोड कर इंस्टॉल करना है।

2. Textme Up App आपको खुद से जनरेट किया हुआ नंबर भी देता है, जिसे आप कॉलिंग और मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
3. यहां आपसे नंबर रजिस्टर करने के लिए बोला जाएगा, आप यहां अलग-अलग नंबर को रजिस्टर कर सकते हैं।

4. बस इसके बाद आप बिना अपनी पहचान बताएं एक सिम में अलग-अलग नंबर को रजिस्टर कर कॉल, मैसेज और वीडियो कॉल कर सकते हैं।
5. आप कभी भी किसी भी नंबर से किसी को भी कॉल कर सकते हैं।
6. आप जब चाहें किसी भी नंबर को डिलीट कर सकते हैं।

7. US, Canada, UK और France के नंबर्स को यूज कर सकते हैं।

8. एक ही इनबॉक्स में आप अपनी सारी कॉवर्शेशन को देख सकते हैं।

इस तरह बनाएं खुद की हिंदी वेबसाइट और घर बैठे कमाएं पैसा

पैसे कमाना हर किसी को पसंद होता है। हर कोई घर बैठे पैसे कमाना चाहता है। क्या आप जानते हैं कि ऑनलाइन कई ऐसे तरीके हैं, जिसके जरिए ढेर सारे पैसे कमाए जा सकते हैं? भारत में डिजिटलाइजेशन के चलते स्मार्टफोन यूजरों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। आज हर चीज ऑनलाइन उपलब्ध है। क्या आप जानते है कि ऑनलाइन वेबसाइट बनाकर काफी पैसे कमाए जा सकते हैं। अब वेबसाइट बनाना पहले की तरह कठिन भी नहीं रहा। बस इसे ऑपरेट करना आना चाहिए। आज हम आपको घर बैठे ही वेबसाइट बनाने का तरीका बताने जा रहे हैं।

1. सबसे पहले आपको अपनी वेबसाइट का नाम डिसाइड करना होगा। वेबसाइट का नाम कुछ ऐसा होना चाहिए, जो पढ़ने में आसान हो और ज्यादा बड़ा न हो, जिससे हर किसी को एक बार में याद हो जाए।

2. नाम डिसाइड करने के बाद आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि कहीं आपके द्वारा चुना गया नाम किसी और के पास तो नहीं है। क्योंककि एक नाम की जैसी दो साइट नहीं बनाई जा सकती। Godaddy और Hostgator जैसी साइट्स के जरिए आप नाम चेक कर सकते हैं। अगर वो नाम ऑनलाइन मौजूद है, तो आप उसे खरीद सकते हैं, 300 रुपये से लेकर 1000 रुपये में उस नाम यानी डोमेन नेम को एक साल के लिए खरीदा जा सकता है।

3. इसके बाद आपको वेबसाइट की होस्टिंग खरीदनी होगी। Godaddy और Hostgator के अलावा आपको कई दूसरी साइट मिल जाएंगी, जहां से आप होस्टिंग खरीद सकते हैं। अगर आप स्टार्टिंग प्लान खरीदते हैं, तो आपको 300 रुपये महीने से लेकर 600 रुपये प्रति महीना देना होगा।

4. होस्टिंंग खरीदने के बाद आपके मेल पर एक मैसेज आएगा, जिसमें वेबसाइट को सेट करने के लिए लॉगइन और पासवर्ड दिया जाएगा। इस मेल में आपको जो पासवर्ड दिया गया होगा, वो सी पैनल का होगा। आपको बता दें कि सी पैनल से आप पूरी साइट को कंट्रोल कर सकते हैं।

5. अब सी पैनल में लॉगइन करें। इसमें कई ऑप्शन्स दिए गए होंगे। इन सभी के अपने अलग-अलग काम हैं। साइट सेट करने के लिए सी पैनल में Software/Services या फिर quick install ऑप्शन में जाकर Select PHP Version पर क्लिक करना होगा, जिसके अंदर जाकर आपके सामने कई प्लेटफार्म आएंगे। इसमें से आप WordPress पर क्लिक कर दें। ऐसा इसलिए क्योंकि हम आपको WordPress की साइट बनाने का तरीका बता रहे हैं। इसके बाद आपको एक फॉर्म भरना होगा। इसमें डोमेन नेम, यूजर नेम और पासवर्ड डालना होगा। इसके बाद नीचे दिए गए install Now पर क्लिक कर दें। ऐसा करने से WordPress इंस्टॉल हो जाएगा।

6. इसके बाद आपके मेल पर एक बार फिर से आईडी और पासवर्ड आएगा। ये आईडी और पासवर्ड Wordpress को लॉगइन करने के लिए होगी। लॉगइन करके आप साइट मे जो भी चेंज करना चाहते हैं कर सकते हैं।

Friday 15 September 2017

WIFI या Bluetooth हमेशा रखते हैं ON, खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट

अक्सर कुछ लोगों की आदत होती है कि वो अपने मोबाइल का ब्लूटूथ और WIFI On रखते हैं. या फिर बंद करना भूल जाते हैं. अगर आपकी भी यही आदत है तो आज से ही अपनी आदत बदल दें क्योंकि ये छोटी सी भूल आपका लाखों का नुकसान करा सकती है. ऐसा भी हो सकता है ब्लूटूथ और वाईफाई के कारण आपका बैंक अकाउंट भी खाली हो सकता है. इतना ही नहीं आपके मोबाइल में फीड पर्सनल डाटा भी सार्वजनिक होने का खतरा हो सकता है.

सर्च फर्म अर्मिस के मुताबिक, ब्लूटूथ, वाई-फाई जैसे डिजिटल एंट्रेंस को ओपन रखने से ब्लूबोर्न Blueborne मैलवेयर आपके मोबाइल में घुस सकता है. ऐसा होने पर ये मैलवेयर आपके सिस्टम या मोबाइल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है.

ब्लूबोर्न को आपके मोबाइल में घुसने के लिए किसी भी यूआरएल, इंटरनेट कनेक्शन, या कोई ऐप डाउनलोड करवाने की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर आपका ब्लूटूथ, वाई-फाई ओपन है तो यह सीधे आपके मोबाइल में पहुंच सकता है. इसके बाद हैकर्स सीधे आपके मोबाइल से कनेक्ट होकर, कुछ भी एक्सेस कर सकते हैं. साथ ही मैलवेयर को और स्प्रेड कर सकते हैं.

मोबाइल में ब्लूबोर्न यदि पहुंचा और इसके बाद आप जिस भी डिवाइस से अपना फोन कनेक्ट करेंगे तो यह मैलवेयर आगे पहुंचता जाएगा. एक बार इसकी चपेट में आने के बाद आपका स्मार्टफोन, सिस्टम, टैबलेट, ब्लूटूथ हेडफोन सभी इससे इन्फेक्टेड हो जाएंगे.

मैलवेयर के जरिए हैकर्स आपके बैंक खातों से लेकर निजी जानकारियों तक में बड़ी आसानी से सेंध लगा सकते हैं. जो आपको मुश्किल में डाल सकता है. बताया जा रहा है कि तकरीबन 5.3 बिलियन डिवाइस इस मैलवेयर के खतरे को लेकर संवेदनशील हैं.

Sunday 3 September 2017

जानिए खुद की Website बना कर पैसे कैसे कमाएँ...

आज के टाइम में कोई भी इंटरनेट से पैसे कमा सकता है, बस उसे ऑनलाइन अर्निंग के सही तरीके पता होनें चाहिए। इस आर्टिकल में मैं आपको ऑनलाइन पैसे कमानें का ऐसा तरीका बता रहा हूँ, जिससे कोई भी घर बैठे इन्टरनेट से पैसा कमा सकता है। इसके लिए उसे न किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जरुरत पड़ेगी और न ही जॉब की तरह किसी स्पेशल डिग्री की। हर वो इंसान जिसे कंप्यूटर की बेसिक इनफार्मेशन हो और थोड़ी टाइपिंग आती हो इस तरीके से इनकम कर सकता है।

एक टाइम था जब इन्टरनेट से पैसा कमाना बहुत मुश्किल था | क्यूंकि उस वक़्त इसके बारे में जानकारी बहुत कम थी मगर आज आपको नेट पर इस टॉपिक पर हज़ारों आर्टिकल्स मिल जाएँगे जिनमें ऑनलाइन मेक मनी के बारे में बताया हुआ है। आज इंटरनेट पर मनी अर्न करने के 10,000 रास्ते हैं, और आप जिस तरीके से चाहो घर बैठे ऑनलाइन कमाई कर सकते हो।

अगर आप सोच रहे हो कि इसके लिए क्या क्वालिफिकेशन होनी चाहिए तो मैं आपको बता दूँ कि इसके लिए आपको कोई भी एग्जाम पास करने की जरुरत नहीं है। मेंस, वोमेसं, गर्ल, boy, स्टूडेंट, वर्कर आप कोई भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता बस आपमें कुछ अलग करने का जुनून और मेहनत करने का हौसला होना चाहिए।

खुद की Website बनाकर इंटरनेट से पैसे कैसे कमाए...

आज से कुछ साल पहले खुद की वेबसाइट बनाना बहुत मुश्किल था, और इसके लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोडइंग की जरुरत पड़ती थी, मगर आज कुछ सॉफ्टवेयर एंड टूल्स की हेल्प से ये काम बहुत आसान हो गया है, और आप ओनली 4-5 मिनट्स में अपनी वेबसाइट बना कर रेडी कर सकते हो।

यहाँ मैं वेबसाइट बना कर पैसे कमाने की बात कर रहा हूँ, मैं आपको 4-5 पॉइंट के साथ समझाऊँगा ताकि आपको सब कुछ असानी से समझ आ सके।

1. क्रिएट योर ओन Website...

Website बनानें के लिए आपको programming language like CSS, HTML, JavaScript, PHP, Jquery etc. कोडइंग अ|नी चाहिए। अगर आपको कोडइंग नहीं आती है, तो आपके पास 2 ऑप्शन हैं।
# Create Website : किसी डेवलपर से साइट बनवाएं।

# Create Blog: WordPress, Blogspot, Joomla etc. सॉफ्टवेयर एंड ब्लॉग्गिंग प्लेटफार्म की हेल्प से साइट स्टार्ट करें।

सबसे अच्छी बात ये है, की ब्लॉग बनानें के लिए आपको किसी भी तरह से कोडइंग लैंग्वेज की नॉलेज होना जरुरी नहीं है। आप किसी 2 - 3 स्टेप्स फॉलो करके अपनी साइट स्टार्ट कर सकते हो।
इन माय केस, मैं वर्डप्रेस यूज़ करता हूँ, और मैं आपको भी यही Suggest करूँगा क्यूंकि ये मैनेज करने में बहुत ही आसान है, और हमारा इस पर फुल कंट्रोल होता है, मेरा मत्लब इस सॉफ्टवेयर पर जो चाहे कर सकते हैं। पर इसके लिए आपको कुछ इन्वेस्ट करना पड़ेगा और होस्टिंग + डोमेन Buy करना होगा।

अगर आप इन्वेस्ट नहीं करना चाहते हैं, तो आप बिना एक भी पैसा खर्च किए भी अपनी Website बना सकते हैं...इसके लिए आप Blogger.com पर जाएँ और अपनी साइट का नाम और एड्रेस टाइप करके 2 मिनट में अपनी साइट बना लीजिए। Blogger google की ही एक सर्विस है, जो अपने यूज़र्स को फ्री Website बनाने की सर्विस प्रोवाइड करती है।

Website Blog बनानें के बाद आपको उसे अच्छे से डिज़ाइन करना है, ताकि जादा से जादा ऑडियंस उसे लाइक करें साथ ही आपकी साइट का स्पीड अप होना भी जरुरी है, ताकि स्लो इंटरनेट कनेक्शन यूज करने वाले यूजर्स भी आपकी साइट को फ़ास्ट ओपन कर सकें।

2. Choose Topic & Target...

अपनी Website बनानें के बाद सेकंड ऑप्शन है, अपनी Website के लिए कोई टॉपिक चूस करना और एक टारगेट सेट करना ताकि आप अच्छे से वर्क कर सको और कम टाइम में अपनी साइट को सक्सेस्फुल बना सको।

A. Website टॉपिक...

जब आप Website क्रिएट कर लो तो आपको ये तय करना है ,की आपको साइट पर किस टॉपिक पर लिखना है। फॉर एक्साम्प्ल, जैसे अब मैं इस साइट पर Website बनाकर पैसे कमानें के बारे में लिख रहा हूँ, वैसे ही आपको किस टॉपिक पर लिखना है।
Website पर लिखने के लिए बहुत सारे टॉपिक्स हैं, लाइक हेल्थ, सक्सेस्स, हालिडै, स्पोर्ट्स ect...

लेकिन आप उसी टॉपिक को सेलेक्ट करें जिसके बारे में आपको नॉलेज हो और जिसमें आपको फुल इंटरेस्ट हो। क्यूंकि जिस काम में आपकी लगन होगी वो काम आप कहीं जादा अच्छे से कर सकोगे।

B. टारगेट...

अपनी साइट के लिए टॉपिक चूज करने के बाद आपको टारगेट सेट करना है, कि आपको कितने टाइम में और क्या क्या करना है, और किन लोगों के लिए लिखना है। टारगेट सेट करने से आप बेहतर बिज़नेस कर सकोगे और इसमें समय भी कम लगता है। वैसे भी बिना सोचे समझे किए गए काम में सफलता मिलनी मुश्किल होती है, सो सोच समझ कर शुरुआत करना समझदारी होगी।

आपने जो टॉपिक सेलेक्ट किया है, उस फील्ड के कॉम्पटिटर को देखें और प्लान बनाएं कि आपको किस तरह काम करके उनसे आगे निकलना है। अगर आप चाहो तो इसके लिए अपनी छोटी या बड़ी कोई एक टीम बना सकते हो।

3. कंटेंट एंड टैलेंट...

Website बनानें और उसके लिए टॉपिक सलेक्ट करनें और टारगेट बनने के बाद आपको कंटेंट Write करना है।
कंटेंट Write करने से ये ध्यान रखें की आप जितना अच्छा लिखोगे पीपल आपको और आपकी साइट को उतना ही जादा पसंद करेंगे। सो आपको दूसरों से बेहतर और अलग लिखना है, ताकि आपकी साइट को पढ़ने वालों की सख्या ज्यादा हो।
कंटेंट लिखने से पहले 3 बातें जान लें जो आपके हमेशा काम आएगी। अगर आप इन्हें इगनोर करोगे तो आपकी साइट को सक्सेस होने में बहुत प्रॉब्लम होगी।

1. क्वालिटी कंटेंट : यूनिक एंड क्वालिटी कंटेंट लिखें ताकि जादा से जादा ऑडियंस उसे लाइक करें। अगर आप दुसरो की कॉपी पेस्टिंग करोगे या फिर उसे लेस कंटेंट Write करोगे तो शायद ही आपकी साइट पर कोई दुबारा विजिट करेगा। सो लो क्वालिटी कंटेंट लिखने से बचें और 10 लो क्वालिटी कंटेंट वाली पोस्ट लिखने से अच्छा 1 हाई क्वालिटी कंटेंट वाली पोस्ट Write करें।

2. Write फॉर उसर्स : आपकी साइट पर जितना जादा ट्रैफिक होगा आप उतने ही जादा सफल होंगें। सो सबसे पहले उसर्स का ख्याल रखें और ऐसा कंटेंट लिखें जो आपके ऑडियंस को समझ अए और वो उसे लाइक करे। अपने मन से नहीं अपने उसर्स के मन से लिखें ताकि आपके पास जादा से जादा सपोर्ट हो।
3. ट्रैफिक : आपकी साइट पर कितना ट्रैफिक होगा ये आपके कंटेंट पर डिपेंड करता है, और आपकी साइट पर कितना अच्छा कंटेंट होगा ये आपके टैलेंट पर डपिंड करता है। फॉर एक्साम्प्ल, सप्पोस 2 पर्सन एक ही टॉपिक पर 10000 वर्ड्स का अलग अलग आर्टिकल लिखते है, उनमें से एक के आर्टिकल को पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है, और बोरिंग फील होती है। आपको एक नंबर वाले राइटर की तरह लिखना है। आपके उसर्स को आपके कंटेंट को पढ़ते टाइम बोरिंग न हों वरना एक फ्लॉप मूवी की तरह आपकी साइट भी फ्लॉप हो सकती है।
जैसे ही आपकी साइट पर अच्छा ट्रैफिक होगा और आप अच्छा कमा रहे होंगे तो आपको पता भी नहीं चलेगा की आप कब सक्सेस हो गए। इसका ख्याल आपको तब आएगा जब दुनिया वाले आपके बारे में बात करेंगे। जिस दिन लोग दुसरे लोगों को आपकी महानता के बारे में बता रहे होंगे समझो उस दिन आप सक्सेसफुल पर्सन बन चुके होंगें।

अगर आपको इस बीच मेरी कोई बात समझ न अए या फिर आपको इस आर्टिकल से रिलेटेड कोई सवाल पूछना हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
अगर आपको ये जानकारी पसंद अए और इसमें यूज़फुल एंड हेल्पफुल इनफार्मेशन मिली हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर जरुर करें।

संस्थाओं की साख दांव पर!


नोटबंदी ने देश की कई संस्थाओं की साख दांव पर लगा दी। सिर्फ रिजर्व बैंक नहीं, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री नाम की संस्थाओं की साख भी बिगड़ी। नोटबंदी के दौरान लगभग हर दिन कोई न कोई नई अधिसूचना जारी की गई। नियम बदले गए, जिनसे लोगों की मुश्किलें और बढ़ीं। हैरानी की बात है कि सारे काम रिजर्व बैंक की ओर से किए गए, लेकिन नोटबंदी के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं की। सारे फैसलों की घोषणा वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने की। आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव आदि ने प्रेस कांफ्रेंस करके लोगों को नियम बदलने की जानकारी दी।

सबसे पहले प्रधानमंत्री की कही बातों की विश्वसनीयता देखते हैं। प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को कहा कि 31 दिसंबर तक लोग अपने पुराने नोट बैंकों में जमा कर सकते हैं। उन्होंने और बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा कि ढाई लाख रुपए तक जमा करने वालों से कोई कारण या पैसे का स्रोत नहीं पूछा जाएगा। लेकिन बाद में दो लाख रुपए तक जमा करने वालों को नोटिस भेजे जाने लगे और पैसे का स्रोत पूछा जाने लगा।

पहले कहा गया कि हर दिन चार हजार रुपए के नोट बदले जाएंगे। कुछ ही दिन के बाद इसे घटा कर दो हजार कर दिया गया और 15 दिन बाद 24 नवंबर को अचानक इसे बंद कर दिया गया। कहा गया कि अब नोट बदलने का काम सिर्फ रिजर्व बैंक के काउंटर पर होगा। इससे पहले नोटबंदी के एक हफ्ते बाद ही नोट बदलवाने वाले लोगों की उंगलियों पर न छूटने वाली स्याही लगाने का फैसला किया गया। 31 दिसंबर की सीमा खत्म होने से पहले 19 दिसंबर को ही एक नई अधिसूचना जारी करके कहा गया कि अगर कोई आदमी पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट में पांच हजार से ज्यादा रकम जमा कराता है तो उससे पूछताछ की जाए कि वह इतनी देरी से पैसे क्यों जमा करा रहा है। हालांकि इसकी चौतरफा आलोचना हुई तो रिजर्व बैंक ने नई अधिसूचना के जरिए यह नियम खत्म किया।

इसी तरह रिजर्व बैंक ने जन धन खातों से दस हजार से ज्यादा रुपए निकालने पर पाबंदी लगा दी। जिन खातों में आठ नवंबर के बाद रुपए जमा कराए गए थे, उनमें से भी पैसे निकालने की एक सीमा तय की गई। एक अधिसूचना जारी करके यह भी कहा गया कि बैंक अपनी शाखाओं की वीडियो फुटेज सुरक्षित रखें ताकि बाद में यह पता लग सके कि कितने लोग बार बार पैसे जमा कराने आए।

भारत की शीर्ष संस्थाओं की साख को इस बात से भी नुकसान पहुंचा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा के समय यह कहा कि 31 दिसंबर के बाद भी अगर किसी व्यक्ति के पास पुराना नोट बच जाता है तो वह उसे 31 मार्च तक रिजर्व बैंक के काउंटर पर वाजिब कारण बता कर और हलफनामा देकर जमा करवा सकता है, लेकिन इसे 31 मार्च से पहले ही बंद कर दिया गया। 31 दिसंबर से पहले भी कई बार अधिसूचना जारी करके लोगों को पुराने नोट जमा करने या बदलने से रोका गया और 31 मार्च से पहले भी लोगों को पुराने नोट जमा कराने से रोका गया।

मोदी सरकार को मंत्रिमंडल ही नहीं, मीडिया में भी फेरबदल की ज़रूरत है ..

कैबिनेट का विस्तार पत्रकारों के लिए सूत्रों के हाथों खेलने का सावन होता है। दिल्ली शहर में सूत्रों के तरह तरह के बादल घुमड़ते रहते हैं और उनके नीचे हमारे पत्रकार भीगते रहते हैं। कुछ बातें सही होती हैं और कुछ बातें ग़लत होती हैं। कोई भी कैबिनेट विस्तार तीन चार दिनों की अटकलबाज़ी के बग़ैर नहीं होता है। इसी समय पता चलता है कि मोदी सरकार के भीतर कुछ सूत्र भी हैं। बाकी ख़बरें तो विज्ञापन और प्रेस रीलिज़ से मिल ही जाती हैं। सूत्रों के आधार पर मंत्रियों के आने-जाने की ख़बर बांचने वाले इन पत्रकारों को कभी ऐसे सूत्र नहीं मिलते हैं जो सरकार के भीतर चलने वाले खेल को बाहर ला सकें। कैबिनेट विस्तार समाप्त होते ही ये सूत्र शिमला घूमने चले जाएंगे। इसके बाद राजनीतिक संपादक कद के पत्रकरार ट्वीटर पर सरकार के बचाव में लग जाएंगे और कभी कभी गोरखपुर कांड जैसी ख़बरों पर आलोचना कर पत्रकार होने का लाइसेंस नया कर लेंगे। यही होता आया है। यही हो रहा है। यही होता रहेगा।

कैबिनेट विस्तार के कई आधार होते हैं। सबसे बड़ा आधार होता है महानतम घोषित हो चुके नेता को फिर से महान बताना। उनकी जयजयकार करना कि कैसे उनकी हर बात पर नज़र है। वे काम में कोताही बर्दाश्त नहीं करते हैं। सचिवों के साथ लगातार समीक्षा बैठक करते हैं। ऐसे वैसे मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होता है। पहले एक्सेल शीट बनी है, उस पर सबके प्रदर्शन का चार्ट लिखा है, उसमें जिसके अंक कम होंगे, वही हटाए जा रहे हैं। राजनीति में कारपोरेट के टोटके बड़ी आसानी से चल जाते हैं। अब उस एक्सेल शीट को किसने देखा है, सूत्र ने या पत्रकारों ने? बोगस ख़बरें चल रही हैं कि खुफिया एजेंसियों ने एक मंत्री को भ्रष्टाचार करते हुए पकड़ा है, उन्हें हटाया जा रहा है। यह ख़बर किसके पास है कि भ्रष्टाचार में लिप्त उस मंत्री के ख़िलाफ एफ आई आर होगी, संपत्ति ज़ब्त होगी? कब पता चला कि ख़ुफिया एजेंसी ने मंत्री का करप्शन पकड़ लिया है, रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट से पोल खुलने के बाद या पहले ? जब पता चला तो प्रधानमंत्री ने क्या किया, सीबीआई से जांच कराई ,या ज्योतिष से मंत्रिमंडल बदलाव की तारीख पूछने लगे?

ज सिंह की कई तस्वीरें आ गईं सृजन घोटाले की प्रमुख पात्रा मनोरमा देवी के साथ, क्या उनके बारे में खुफिया एजेंसियों को कोई जानकारी है। और यह कैसी सरकार है कि मंत्रियों के पीछे ख़ुफिया एजेंसियां लगी हैं, क्या प्रधानमंत्री को अपने मंत्रियों पर भरोसा नहीं हैं? किस्से पर किस्सा चल रहा है। राधा मोहन सिंह कृषि मंत्रालय से हटाए जाएंगे, वे फेल हुए हैं या मोदी जी फेल हुए हैं? 2022 तक आमदनी दुगनी करने का झांसा देने वाला आइडिया किसने दिया था, राधा मोहन ने या मोदी जी ने? वादा किया था कि दुगना दाम देंगे, दिया ? ये क्या राधा मोहन सिंह ने अपनी मर्ज़ी से नहीं दिया या सरकार को देना ही नहीं था?

मोदी सरकार मंत्रिमंडल विस्तार डायमंड कोमिक्स का नया अंक लगता है। जिसके नए अंक में बताया जा रहा है कि मोदी जी सांसदों को मंत्री बनाकर अपने वॉर रूम में चले गए थे। वहां से चुपचाप देख रहे थे कि कौन मंत्री काम कर रहा है, कौन नहीं। बिग बॉस की तरह कभी कभी आकाशवाणी के ज़रिए चेतावनी दे दिया करते थे। मशहूर अमरीकी सीरीयल स्टार ट्रेक के कैप्टन कर्क लगते हैं अपने प्रधानमंत्री। ऐसा लगता है कि यह सरकार नहीं है, USS ENTERPRISE नाम का अंतरीक्षयान है। जो भी एलियन से लड़ने में फेल होगा, कैप्टन कर्क उसे हटा देंगे।
कोई नहीं बता रहा है कि ये एक्सेल शीट क्या अगस्त में ही तैयार हुई है या पहले से बनती चली आ रही थी? क्या उस एक्सेल शीट में उनका भी नाम दिखा, जिनकी वजह से जीडीपी 5.7 प्रतिशत पर आ गई, नोटबंदी फेल हो गई, नौकरियां कम हो गईं, मेक इन इंडिया फेल हो गया, मैन्यूफैक्चरिंग का ग्रोथ रेट एक साल में 10 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत पर आ गया? क्या कैप्टन कर्क इन सब एलियन पर भी नज़र गड़ाए हुए हैं? पत्रकार मोदी जी की तारफी में उनका बड़ा नुकसान कर देते हैं। अभी बवाना उपचुनाव हो रहे थे तो ख़बर आई कि प्रधानमंत्री बवाना पर नज़र बनाए हुए हैं।

मैं अभी तक हैरान हूं कि वे कैसे नज़र बनाए हुए हैं, अपने अंतरिक्ष यान से बवाना देख रहे हैं या वहीं भेष बदलकर रातों को घूमते हैं। कई बार पत्रकारों के विश्लेषण से लगता है कि मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं हैं। शहंशाह फिल्म के किरदार हैं। अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर, एक मसीहा निकलाता है…उसे लोग शहंशाह कहते हैं।

मेरी एक सिफारिश है मोदी जी से कि वे ऐसे पत्रकारों और एंकरों से किनारा कर लें। वैसे भी प्रोपेगैंडा का एक सिद्धांत है। जिसका काम हो जाए उसे चलता कर देना चाहिए। उसी काम को करने के लिए नए चेहरे लाए जाते हैं। कई बार जनता इन एंकरों के कारण सरकार से ज़्यादा चिढ़ जाती है। वैसे तो उनकी जीत अब यदा यदा ही नहीं सदा सदा के लिए तय है, फिर भी हार का कोई कारण बन जाए, उसे हटाने में कोई बुराई नहीं है। सरकार को चाहिए कि मीडिया को गोदी मीडिया में बदलने के बाद उसकी बेवकूफियों पर भी कंट्रोल करे। मोदी सरकार को मंत्रिमंडल ही नहीं, मीडिया में भी फेरबदल की ज़रूरत है। खुशामद की परंपरा कोई नहीं बदल सकता, नए चेहरे हों तो इरशाद में दम आ जाता है।

कैबिनेट विस्तार की रोचक कथाओं का कमाल देखिए। जिन विश्लेषणों में एक मंत्री ख़राब प्रदर्शन के कारण हटाया जा रहा है, उन्हीं विश्लेषणों में कोई सिर्फ इसलिए मंत्री बन रहा है कि उसके राज्य में चुनाव है। चुनाव सापेक्षिक उपयोगिता का सिद्धांत अजर-अमर है। जब भी मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की ख़बरें चलती हैं, टीवी स्क्रीन पर अरुण जेटली का चेहरा खूब फ्लैश करता है। क्या रक्षा मंत्री रहेंगे, क्या वित्त मंत्री रहेंगे? मीडिया अपनी तरफ से दोनों में से एक मंत्रालय से जेटली जी को हटाता रहता है और उसमें किसी न किसी को फिट करता रहता है। इतनी ही दिक्कत है तो कभी अलग से इसी पर चर्चा करने की हिम्मत क्यों नहीं है कि इस देश में कोई फुल टाइम रक्षा मंत्री नहीं है। मगर इस सवाल को वो विस्तार की खबरों के बहाने निपटा देता है।

उसी तरह एक और मंत्रालय है मानव संसाधन। समझ नहीं आता कि इस मंत्रालय में आकर मंत्री फेल हो जाते हैं या मंत्री आकर इस मंत्रालय को फेल कर देते हैं। मंत्री से ज़्यादा तो दीनानाथ बत्रा सुर्ख़िया बटोर ले जाते हैं। आख़िर जब वे इतने क़ाबिल हैं तो दीनानाथ बत्रा को मानव संसाधन मंत्री बना देने में क्या दिक्कत है। खुदरा खुदरा बदलाव से अच्छा है, एक ही बार में कबाड़ में बदल देने में कोई दिक्कत नहीं है। वैसे भी उनके पहले से ये शिक्षा व्यवस्था कबाड़ में बदल चुकी है। पूर्ववर्ती सरकारों ने कोई बहुत भला नहीं किया है। जब सबको आकर प्राइवेट दुकान ही खोलनी है और एक्सलेंस के नाम पर सरकारी यूनिवर्सिटी में चाटुकार वीसी ही नियुक्त करने हैं तो यह काम बत्रा जी से बेहतर कौन कर सकता है। आख़िर उनकी बहुमुखी प्रतिभा को नज़रअंदाज़ क्यों किया जा रहा है। जब वही बाहर से कोर्स बदलवा रहे हैं तो उन्हें भीतर क्यों नहीं मौका मिलना चाहिए।

अभी तक हमें नहीं पता कि इस सरकार ने मेरी प्रिय भाषा संस्कृत के विकास के लिए क्या किया है? कोई ठोस कदम उठाया है? न्यूज़ बुलेटिन और शपथ लेने से संस्कृत का विकास नहीं होने वाला है। वैसे दूरदर्शन पर संस्कृत का कार्यक्रम बहुत अच्छा है। क्या संस्कृत के संरक्षण के लिए कोई नई यूनिवर्सिटी बनी है, पुराने जर्जर हो चुके संस्कृत कालेजों में नियुक्तियां ही हो चुके संस्कृत कालेजों की मरम्मत के लिए कितना फंड गया है? संस्कृत से पास करने वाले कितने युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है? ये सारे सवाल आसानी से गायब कर दिए गए हैं या एक्सेल शीट में नहीं आते हैं। 2015 में मेल आनलाइन के लिए आदित्य घोष ने एक ख़बर लिखी है। जर्मनी की मशहूर हाइडलबर्ग यूनिवर्सटी वहां संस्कृत सीखने के लिए दक्षिण एशिया से इतने आवेदन आ गए कि संभाल नहीं सकी। हाइडलबर्ग यूनिवर्सिटी ने फैसला किया कि वह स्वीटज़रलैंड और भारत में भी सेंटर खोलेगी। माननीय भारत सरकार आप अपना रिकार्ड बताइये तो। लगे हाथ ये भी बता दीजिए कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कितने पद ख़ाली हैं और आप कब भरने वाले हैं।

कैबिनेट विस्तार की ख़बरों में प्रदर्शन के नाम पर कुछ मंत्रियों का बायेडेटा ख़राब हो रहा है। बेचारे राजीव प्रताप रूडी की शक्ल मीडिया में ऐसे दिखाई जा रही है जैसे यही सबसे नकारे हों। इसके पहले इसी रूडी का हंसता खिलखिलाता चेहरा मीडिया के लिए मोदी सरकार की नौजवानी का चेहरा हुआ करता था। अब रूडी का उदास चेहरा मुझे अच्छा नहीं लगा, इसलिए नहीं कि मुझे उनसे सहानुभूति है। काश वे खुल कर बोल देते कि स्किल इंडिया क्यों फेल हुआ? वे फैसला लेते थे या कोई और फ़ैसला लेता था? स्किल इंडिया फेल हो गया है या रूडी फेल हुए हैं? किसी में न तो यह बताने की हिम्मत है न ही जानकारी क्योंकि सूत्र ये सब जानने नहीं देते हैं। कोई तो बताए कि योजना लागू होती है या सिर्फ विज्ञापन लागू होता है।

मोदी सरकार प्रेस रीलिज और विज्ञापन की सरकार है।
सरकार के भीतर के अंतर्विरोधों की रिपोर्टिंग बंद हो गई है। सांसद सिर्फ कठपुतली नहीं होता है। जो असली नेता होता है वो एक स्वायत्त स्वभाव का भी होता है। इंडियन एक्सप्रेस में बीजेपी के ही सांसद नाना पटोले का बयान छपा है। नाना पटोने कहा कि प्रधानमंत्री को सवाल पूछना अच्छा नहीं लगता है। जब उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए तो प्रधानमंत्री नाराज़ हो गए। मोदी जी से सवाल पूछो तो कहते हैं कि आपने पार्टी का मेनिफेस्टो पढ़ा है, क्या आप सरकार की योजनाओं के बारे में जानते हैं? मोदी जी गुस्सा गए और चुप रहने के लिए कह दिया। सारे केंद्रीय मंत्री हमेशा डर के माहौल में रहते हैं। मैं मंत्री नहीं बनना चाहता। मुझे किसी से डर नहीं लगता है।
ये एक सांसद का बयान है। इसे बग़ावत समझ कर मत समेटिए। न ही मज़ा लेने की कोई बात है। सासंद पटोले ने वही कहा जो रूडी नहीं कह सकते हैं, जो उमा भारती नहीं कह सकती हैं। वो जानती हैं कि योजनाएं क्यों फेल हुई हैं मगर उन्हें यह नकारे होने का ज़हर पीना पड़ेगा। वे भी तो चुप थे जब आडवाणी की ऐसी हालत की जा रही थी, अब जब उनकी हालत ऐसी की जाएगी तो चुप तो रहना ही होगा। जो दूसरों के लिए नहीं बोल पाता, वो अपने लिए भी नहीं बोल पाता है।
सांसद पटोले का बयान नया है मगर आप पुरानी ख़बरों को पलट कर देखिए, सांसदो को टास्क दिए जा रहे हैं कि कितने ट्वीट करने हैं, कितने री-ट्वीट करने हैं, कितना शेयर करना है। लगातार सांसद की भूमिका समाप्त की जा रही है। उसका काम है चुनाव मैनेज करना। सांसदों को भी तय करना होगा कि वे सांसद बनने के लिए सांसद बने हैं या जयजयकार करने के लिए। ये हाल सिर्फ बीजेपी का नहीं है, हर दल के सांसदों का यही हाल है।

मंत्रिमंडल के विस्तार को दंत कथाओं में मत बदलिए। ये सिर्फ राजनीतिक जुगाड़ का विस्तार है। मंत्री फेल नहीं हुए हैं, सरकार फेल हुए है, वो आइडिया फेल हुआ है जिसमें ज़बरन हवा भरी जा रही थी। यह जब कह नहीं सकते तो बेकार में क्यों दो चार मंत्रियों को बदनाम करना है कि देखो यही नकारे हैं। घास फूस की छंटाई हो गई और काबिलों की सरकार बन गई है। इसलिए ज़्यादा महिमामंडन मत कीजिए। न ही कोल्हू से तेल निकालिए। ये सबहोता रहता है,चलता रहता है, कोई बड़ी बात नहीं है।