लोगों के मन में यह अक्सर सवाल होता है कि जो मोबाइल रिचार्ज हम कराते हैं वह कंपनियों पैसा किसको देती है ? आपको क्या लगता है इंटरनेट का मालिक कौन है ? इंटरनेट को किसने बनाया है ? आज हम सबकी जिंदगी में इंटरनेट का अहम रोल है. दिन भर हम ब्राउजिंग करते हैं. मूवी, सॉन्ग डाउनलोड करते हैं. ये सवाल आपके भी मन में जरूर आता होगा कि आखिर इस पूरे इंटरनेट का मालिक कौन है.
आप इंटरनेट के लिए टेलिकॉम कंपनियों को जो पैसा देते हैं वो आखिर जाता कहां है.
आज हमने कोशिश की है कि आपके इन्हीं सवालों का जवाब दिया जाए.आप इंटरनेट के लिए टेलिकॉम कंपनियों को जो पैसा देते हैं वो आखिर जाता कहां है.
आपके मोबाइल तक डेटा कैसे पहुंचता है –
दरअसल आप अपने मोबाइल में जब फिल्म, सॉन्ग या कोई फाइल डाउनलोड करते हैं तो ये डेटा हजारों किलोमीटर दूर रखे वेबसाइट के सर्वर से आपके मोबाइल या कम्प्यूटर तक पहुंचता है. लेकिन ये जानना और भी दिलचस्प है कि ये पहुंचता कैसे है.
दरअसल टेलिकॉम कंपनियां वेबसाइट और सर्वर के बीच में कनेक्शन बनाती हैं. इसी कनेक्शन के लिए आपको पैसे देने पड़ते हैं.
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हम इंटरनेट के लिए जो पैसा वोडाफोन, आइडिया, जियो, और एयरटेल जैसी नेशनल कम्पनीज को देते हैं. ये नेशनल कम्पनी इन्टरनेट के लिए इंटरनेशनल कम्पनीज को पैसे देती हैं. ये अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां समंदर में ऑप्टिकल फाइबर बिछाकर एक देश को दूसरे देश से कनेक्ट करती हैं.
इंटरनेट का मालिक कौन है
ये सवाल कई बार आपके मन में आया होगा, इसका जवाब है कि इंटरनेट का कोई एक व्यक्ति मालिक नहीं है. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर कोई मालिक नहीं है तो फिर ये चलता कैसे है?
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मैं आपको बता देता हूँ कि इंटरनेट की उत्पत्ति और उसमें होने वाली सभी खोजों के लिए देशों की सरकारों से लेकर निजी क्षेत्र, इंजीनियर्स, सिविल सोसाइटी के लोगों के अलावा और भी कई क्षेत्रों का सहयोग होता है.
मैं आपको बता देता हूँ कि इंटरनेट की उत्पत्ति और उसमें होने वाली सभी खोजों के लिए देशों की सरकारों से लेकर निजी क्षेत्र, इंजीनियर्स, सिविल सोसाइटी के लोगों के अलावा और भी कई क्षेत्रों का सहयोग होता है.
डोमेन कौन जारी करता है –
आप किसी वेबसाइट को खोलने के लिए ब्राउजर के एड्रेस बार में URL टाइप करते हैं यानी की उस वेबसाइट का डोमेन. इसे आईकैन यानी की इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स जारी करती है.
अमेरिका का दबदबा
आईकैन जैसी बड़ी कंपनियां अमेरिका की हैं. एमेजन या एलेक्सा जैसी वेबसाइट भी अमेरिका की है. इसलिए अमेरिका का इंटरनेट पर दबदबा माना जाता है.
इंटरनेट को एकाधिकार की स्थिति से बचाने के लिए इसे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लाए जाने की कोशिश की जा रही !
अमेरिका का दबदबा
आईकैन जैसी बड़ी कंपनियां अमेरिका की हैं. एमेजन या एलेक्सा जैसी वेबसाइट भी अमेरिका की है. इसलिए अमेरिका का इंटरनेट पर दबदबा माना जाता है.
इंटरनेट को एकाधिकार की स्थिति से बचाने के लिए इसे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लाए जाने की कोशिश की जा रही !
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