Mutual Fund में निवेश करने के फायदे और नुकसान | Mutual Fund Guide in Hindi
निवेशको के सामने इस समय यह प्रश्न है कि वे अपना धन कहा लगाये ताकि वह बढ़े | Real Estate में कोई दम बचा नही है तो Share Market उतार-चढाव से भरे हुए है | बुरे समय का साथी Gold इस समय उन ऊँचाइयों पर जा पहूचा है जहां से उसके गिरने की ही आशंका है | Fixed Deposit की दरे भी आकर्षक नही रही है और Maturity के बाद उन पर Tax भी लगता है | ऐसे में बच जाता है Mutual Fund , जिसका प्रचार जोर-शोर से हो रहा है | “Mutual Fund सही है ” यह Slogan इन दिनों हर जगह दिखाई दे रहा है |
ज्यादातर लोग यह सोचकर Mutual Fund में पैसे लगा देते है कि वाकई Fund Manager ऐसे शेयरों या Debt Fund में उनका पैसा लगा रहे होंगे जिनसे उन्हें खूब फायदा होगा | Mutual Fund SIP से खातो से पुरे देश में लगभग 2.29 लाख करोड़ रूपये लगाये जा चुके है | अकेले जून महीने में 7554 करोड़ रूपये जमा हुए है | यह राशि बताती है कि Mutual Fund में निवेश कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है | भले ही निवेश के इस माध्यम की लोकप्रियता आसमान छु रही हो , लेकिन इस सच को भी नजरअंदाज नही किया जा सकता है कि इसमें भी तमाम किस्म के जोखिम है और कई फंड घाटे में जा चुके है |
दरअसल भारत में निवेश का स्वरूप ही कुछ ऐसा है कि जब लोग निवेश करते है तो एक ही सेक्टर में लगातार करते चले जाते है | धुआधार विज्ञापनों और निवेश के सिमित साधनों के कारण निवेशको को निवेश का यह जरिया फायदे का सौदा लगने लगा | कमीशन के चलते निवेश सलाहकार भी लोगो को Mutual Fund में निवेश के लिए प्रेरित करने लगे और Mutual Fund Industry का दायरा बढ़ता गया |
अब आंकड़े कुछ ओर बता रहे है | एक रिसर्च के मुताबिक़ कई Mutual Fund घाटे में तो चले ही गये है और कई IPO बचाने के फेर में पडकर अपना पैसा गँवा बैठे है | बिगड़े हुए हालात में ऐसे fund मेनेजरो की निवेशको को ललचाने की कोशिशो के कारण बाजार नियामक SEBI को भी कड़े कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा | Mutual Fund कम्पनियों ने ग्राहकों को ललचाने या यो कह कि भ्रमित करने के लिए कई फंड पेश कर दिया | इससे बाजार में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी |
पिछले दिनों एक गैर सरकारी बैंक की सहायक कम्पनी के IPO को मझधार से निकालने के लिए जिस तरह पचास से अधिक Mutual Fund का पैसा उसमे लगाया गया और IPO की कमजोर लिस्टिंग पर शेयर के घाटे में जाने के बाद Mutual Fund House उसे बेचकर निकले , निवेशको को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा |
एक ओर Mutual Fund कम्पनियों का दावा है कि वे सोच-समझकर ग्राहकों के पैसे का निवेश करती है और दुसरी ओर यह सच है कि वे अपनी जरुरतो और व्यापारिक संबधो के लिए भी निवेश करते है | फंड हाउस निवेश के समय तो सब्जबाग़ तो दिखाते है लेकिन घाटा होने या वांछित लाभ न होने पर उनका जोर इस जानकारी पर होता है कि Mutual Fund में निवेश जोखिमो से भरा है | ऐसा उनके विज्ञापनों में भी बताया जाता है |
अगर Mutual Fund कम्पनियों के दावे सच होते है तो बड़ी तादाद में फंड घाटे में नही चले जाते | असलियत यही है कि फंड मेनेजर भी गलत समय में गलत शेयरों को खरीदते है और बेचते है | इतना ही नही कई बार उनके फैसले किसी अन्य वित्तीय संस्था को बचाने की खातिर लिए गये होते है जिसमे घाटे की पुरी गुंजाइश होती है | शेयर बाजार के उतार-चढाव को एकदम सही जान पाना किसी भी फंड मेनेजर के बस की बात नही है | शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए फंड मेनेजरो ने शेयर बाजारों के सूचकांको से आगे निकल जाने के दावो के साथ फंड जारी किये है लेकिन ये फंड तो ओर भी जोखिम भरे है क्योंकि इनका ज्यादातर पैसा Small Caps यानि छोटी कम्पनियों के शेयरों में लगता है | ये शेयर जितनी तेजी से दोगुने होते है उससे ज्यादा तेजी से आधे चौथाई भी |
Balanced Fund के बारे में कहा जाता है कि ये डेट फंड और शेयरो का मिश्रण है शेयर और डेट एक साथ उपर-नीचे नही होते है और एक संतुलन बना रहता है | लेकिन पिछले दिनों देखा गया कि जब बाजार चढ़ रहा था तो डेट मार्केट भी चढ़ रहा था | ऐसे में Balanced Fund की avdhaar को ही धक्का लगता है | दुसरी बात , कितना पैसा शेयरों में लगाया जायगा और कितना डेट में , यह फंड मेनेजर पर निर्भर करता है | हालांकि कुछ फंड में इसका खुलासा किया जाता है | यहाँ पर यह जानना जरुरी है कि जिस फंड में जितना ज्यादा शेयरों का अनुपात होगा , उसमे जोखिम उतना ही ज्यादा होगा |
अक्सर निवेशको को बताया जाता है कि जितनी लम्बी निवेश की अवधि , उतना ही अधिक लाभ | लेकिन इसकी गारंटी नही है क्योंकि Mutual Fund में मुनाफा आखिरकार शेयर बाजार के उतार-चढाव पर ही निर्भर करता है | Mutual Fund सही है या नही इसका फैसला हर निवेशक कर सकता है हो फंड मेनेजर के निवेश का रुख और फंड के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ न केवल जोखिम उठाने की अपनी क्षमता को जान लेता है कि बाजार है तो अनिश्चिता है और अनिश्चिता है तो जोखिम है |