पुलिस अधिकतर अपराध मोबाइल के जरिए ही सुलझाती है। मोबाइल सर्विलांस पर लगाने के बाद उन्हें किस दिशा में बढ़ना है इसकी जानकारी हो जाती है। मगर अब अपराधी सर्विलांस को भी धोखा देने की कोशिश में जुट गए हैं। चोरी के मोबाइल उपयोग में लाने के लिए महज कुछ सौ रुपये खर्च करने होते हैं और मोबाइल का आईएमईआई नंबर बदल दिया जाता है। इससे सर्विलांस मोबाइल की फ्रीक्वेंसी पकड़ पाने में नाकाम साबित हो जाता है।
Surveillance is the monitoring of behavior, activities, or other changing information for the purpose of influencing, managing, directing, or protecting people. This can include observation from a distance by means of electronic equipment ...
मोबाइल के जरिए अपराध होता है तो कुछ अपराध अब मोबाइल के लिए किया जा रहा है। अक्सर चोरी गए मोबाइल सर्विलांस के जरिए मिल जाते हैं। इसका कारण यह होता है कि लोग सिम निकालकर भले ही फेंक दें लेकिन आईएमईआई नंबर मोबाइल की लोकेशन बता देता है। मोबाइल में नया सिम लगा और बात हुई तो संबंधित व्यक्ति पकड़ में आ जाता है। यह व्यवस्था चोरों के साथ ही बड़े अपराधियों तक को कटघरे में खड़ा कर देती है। मगर अपराध से जुड़े मकैनिकों ने अब इसकी भी काट खोज ली है। चोरी के दर्जनों मोबाइल दुकानों पर पहुंचकर बदल जा रहे हैं।
500 से 700 रुपये में मोबाइल का आईएमआई नंबर बदल दिया जाता है। साथ ही मोबाइल का साफ्टवेयर उड़ाकर उसमें दूसरा साफ्टवेयर लोड कर दिया जाता है। इसके बाद मोबाइल में कुछ बचता ही नहीं। अब उसे सर्विलांस पर लगाया जाए या फिर किसी और तरीके से खोजा जाए। वह उसे किसी तरह से अपना नहीं साबित कर सकता।
500 से 700 रुपये में मोबाइल का आईएमआई नंबर बदल दिया जाता है। साथ ही मोबाइल का साफ्टवेयर उड़ाकर उसमें दूसरा साफ्टवेयर लोड कर दिया जाता है। इसके बाद मोबाइल में कुछ बचता ही नहीं। अब उसे सर्विलांस पर लगाया जाए या फिर किसी और तरीके से खोजा जाए। वह उसे किसी तरह से अपना नहीं साबित कर सकता।
इसी तरह मोबाइल में आईएमईआर्ठ नंबर चेंज होने से अपराधी भी पकड़ में नहीं आते। जिले में इस तरह का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। साफ्टवेयर बदलने की कीमत मोबाइल सेट के अनुसार तय होती है। यह काम एक घंटे में हो जाता है।
मोबाइल में आईएमईआई नंबर ही उसकी पहचान होता है। आईएमईआई नंबर न होने के चलते मोबाइल पर काल करने वाले की काल रोक दी जाती है। मोबाइल चोरी करने वाले तो इस बात को नहीं जानते लेकिन इसकी जानकारी मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले मकैनिकों को है। वे इस तरह की समस्या से परेशान लोगों को तुरंत राह सुझा देते हैं। उनके पास तमाम खराब मोबाइल होते हैं। वे चोरी के मोबाइल से आईएमईआई नंबर उड़ाकर पुराने मोबाइल का आईएमईआई नंबर चढ़ा देते हैं। इससे उस मोबाइल की पहचान पुराने मोबाइल जैसी हो जाती है
मोबाइल में आईएमईआई नंबर ही उसकी पहचान होता है। आईएमईआई नंबर न होने के चलते मोबाइल पर काल करने वाले की काल रोक दी जाती है। मोबाइल चोरी करने वाले तो इस बात को नहीं जानते लेकिन इसकी जानकारी मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले मकैनिकों को है। वे इस तरह की समस्या से परेशान लोगों को तुरंत राह सुझा देते हैं। उनके पास तमाम खराब मोबाइल होते हैं। वे चोरी के मोबाइल से आईएमईआई नंबर उड़ाकर पुराने मोबाइल का आईएमईआई नंबर चढ़ा देते हैं। इससे उस मोबाइल की पहचान पुराने मोबाइल जैसी हो जाती है
और चोरी के मोबाइल की पहचान ही खत्म हो जाती है।
पहले के चाइना मोबाइलों में आईएमईआई नंबर नहीं होते थे। इससे उनकी पहचान मुश्किल हो जाती थी। यही कारण था कि पूरे देश में बिना आईएमआई नंबर वाले मोबाइल बंद करने का आदेश जारी हो गया। इससे चाइना के काफी मोबाइल बंद हो गए थे। उस समय टेलीकाम कंपनियों ने आईएमईआई नंबर जारी किए थे। यह आईएमईआई नंबर काफी संख्या में अब भी मकैनिकों के पास पड़ा है। जिसका उपयोग पहले तो कम हुआ, लेकिन अब इसका उपयोग अपराध छिपाने में खूब किया जा रहा है।
पहले के चाइना मोबाइलों में आईएमईआई नंबर नहीं होते थे। इससे उनकी पहचान मुश्किल हो जाती थी। यही कारण था कि पूरे देश में बिना आईएमआई नंबर वाले मोबाइल बंद करने का आदेश जारी हो गया। इससे चाइना के काफी मोबाइल बंद हो गए थे। उस समय टेलीकाम कंपनियों ने आईएमईआई नंबर जारी किए थे। यह आईएमईआई नंबर काफी संख्या में अब भी मकैनिकों के पास पड़ा है। जिसका उपयोग पहले तो कम हुआ, लेकिन अब इसका उपयोग अपराध छिपाने में खूब किया जा रहा है।
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