स्मार्टफोन के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए आप पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पासवर्ड के बावजूद भी आपका फोन सुरक्षित नहीं है? दरअसल, पूर्व गृह सचिव राजीव महार्षि ने संसद की एक समिति में बताया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) यूजर्स के डाटा की जासूसी कर रही है। इससे आधार कार्ड को अलग-अलग सर्विसेस से जोड़ने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यूजर्स के निजी डाटा चोरी होने के साथ आधार डिटेल्स पर भी खतरा बना हुआ है।
जाने-अनजाने शेयर होती है जानकारी :
राजीव महर्षि ने यह भी बताया कि स्मार्टफोन यूजर्स जाने-अनजाने में अपनी निजी जानकारी दूसरों के साथ शेयर कर देते हैं। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि उनकी जानकारी का कोई गलत इस्तेमाल भी कर सकता है। इसके साथ ही महर्षि ने उन एप्स को लेकर भी चिंता जाहिर की है जिनके जरिए यूजर्स की जानकारी चुराई जा रही है। इसके अलावा फिंगरप्रिंट और बायोमैट्रिक डाटा को भी कैप्चर किया जा रहा है। यूजर्स के डाटा को ट्रैक कर कंपनियां या हैकर्स उन पर नजर रख रहे हैं। देश में स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे 40 फीसद यूजर्स का डाटा CIA समेत पूरी दुनिया तक के पास पहुंच रहा है।
सरकार ने 30 कंपनियों को भेजा था नोटिस :
इस मामले को लेकर सरकार ने इससे पहले 30 मोबाइल निर्माता कंपनियों को नोटिस जारी किया था। ऐसा इसलिए किया गया था कि क्योंकि कुछ मुख्य कंपनियों के स्तर पर यूजर्स की निजी जानकारी (मैसेज, लोकेशन और कॉन्टैक्ट लिस्ट आदि) चोरी होने की आशंका जताई जा रही थी। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इन जानकारियों को दूसरी कंपनियों को बेचा भी जा सकता है। सरकार ने जिन कंपनियों को नोटिस भेजा गया था कि उनमें चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो, ओप्पो, शाओमी और जियोनी शामिल हैं। आपको बता दें कि यूजर्स की जानकारी चार तरीकों से चोरी की जा रही है।
कुछ कंपनियों ने मांगा अतिरिक्त समय :
एक आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, 12 कंपनियां जिनमें एचटीसी, शाओमी, वीवो, लेनोवो और हुआवे शामिल हैं, ने सरकार के नोटिस का जवाब दिया है। कुंछ कंपनियों ने इस नोटिस के जवाब के लिए सरकार से अतिरिक्त समय की मांग की है। अधिकारियों के मुताबिक सरकार जवाब पाने के लिए इस समयसीमा को बढ़ा सकती है।
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